आर्थ्रोस्कोपी से कारगर कोहनी की चोट का इलाज
- सही विधि से इलाज जरूरी
- नजरअंदाज करना पड़ सकता है महंगा
जयपुर। हमारे हाथों की मूवमेंट में कोहने के जोड़ बहुत महत्वपूर्ण होता है। भारी चीजें उठाने या खींचने जैसी गतिविधियों में कोहनी के जोड़ से स्थिरता और मजबूत मिलती है। ऐसे में कोहनी में लगने वाली चोटों को नजरअंदाज कर उनका उचित इलाज कराना जरूरी हो जाता है। यदि कोहनी की चोट नजरअंदाज की जाएं तो इससे आर्थराइटिस का खतरा बढ़ सकता है जो आपको असहनीय दर्द दे सकता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में कई तकनीकें आ गईं हैं जिससे इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
इसीलिए होता है कोहनी में दर्द --
सीनियर जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड ऑर्थ्रोस्कोपी सर्जन डॉ. नवीन शर्मा ने बताया कि यूं तो कोहनी में दर्द गंभीर समस्या नहीं है लेकिन हमारी रोजमर्रा की दिनचर्या में लगभग सभी गतिविधियों में कोहनी के जोड़ का उपयोग होता है। ऐसे में कोहनी के दर्द से परेशानी काफी बढ़ जाती है। यह एक जटिल जोड़ है जिसमें थोड़े से असंतुलन से मरीज को दर्द की समस्या घेर लेती है। जोड़ में सूजन आ जाना, मोच आना, एक्सीडेंट होना, स्पोर्ट्स इंजरी होने या जोड़ के ज्यादा लचीले होने से कोहनी का दर्द होता है। इसके उपचार के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। कोहनी के दर्द की स्थिति को ठीक से जानने के लिए एमआरआई जांच करवाई जाती है। इसके बाद दर्द का कारण जानकार मरीज का उपयुक्त विधि से इलाज किया जाता है।
आर्थोस्कोपी से ठीक होती है जोड़ की गड़बड़ी --
कोहनी में दर्द का कारण जानकर उसे दवाओं से ठीक किए जाने का प्रयास किया जाता है। लेकिन दवाओं से भी फर्क नहीं पड़ता तो मरीज को आर्थोस्कोपी विधि द्वारा सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है। डॉ. नवीन शर्मा कहते हैं कि आर्थोस्कोपी से कोहनी के जोड़ के अंदर की गड़बड़ी ठीक की जा सकती है। कार्टिलेज के टूटने पर आर्थोस्कोपी की सहायता से उसे ठीक किया जा सकता है या लिगामेंट के क्षतिग्रस्त होने पर उसे रिपेयर भी कर सकते हैं। यदि लिगामेंट ज्यादा क्षतिग्रस्त हो जाए तो उसे दोबारा बनाना पड़ सकता है जो एक विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा ही कराया जाना चाहिए।