एवैस्कुलर नेक्रोसिस से घबराएं नहीं, रिप्लेसमेंट सर्जरी से मिल सकती है निजात
- हड्डियों की खतरनाक बीमारी है एवेस्कुलर नेक्रोसिस
- तीसरी स्टेज में भी संभव है जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी
जयपुर। हमारे शरीर की गतिविधि को सामान्य बनाए रखने के जोड़ काम आते हैं। शरीर में कूल्हे के जोड़ हमारे चलने से लेकर उठने-बैठने जैसी हर गतिविधि में काम आते हैं। चोट लग जाने से इसको नुकसान हो सकता है लेकिन एवैस्कुलर नेक्रोसिस बीमारी होने पर मरीज का उठना-बैठना भी दूभर हो जाता है। यह हड्डियों काफी गंभीर बीमारी है लेकिन अब चिकित्स विज्ञान में आई नई तकनीकों के चलते इस गंभीर समस्या से निजात पाई जा सकती है।
हड्डी के टिश्यू मरने से शुरू हो जाता है जोड़ का घिसाव --
एवेस्कुलर नेक्रोसिस (एवीएन) एक प्रकार का कष्टदायक विकार है जो धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। इस बीमारी मे हड्डी के टिश्यू तक रक्त संचार पर्याप्त मात्रा में नही होने पर टिश्यू मरने लगते हैं। टिश्यू के खत्म होने के कारण हड्डियां पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। हड्डी के घिसने या जोड़ के अलग हो जाने पर उस हिस्से में रक्त की आपूर्ति होना बंद हो जाती है। इस विकार में कूल्हे का फीमोरल हेड का भाग आम तौर पर प्रभावित होता है। अगर समय रहते इलाज नहीं कराया गया तो यह समस्या भविष्य में कूल्हे के आर्थराइटिस में तब्दील हो सकती है।
नई तकनीकों के बेहतर इलाज संभव --
यदि कूल्हे की हड्डी की बॉल क्षतिग्रस्त हो जाती है तो हिप रिप्लेसमेंट आखिरी विकल्प होता है। रिप्लेसमेंट सर्जरी ने न केवल मरीज का दर्द दूर होता है बल्कि वह पहले की तरह चलने की स्थिति में आ जाता है। एवैस्कुलर नेक्रोसिस किस स्टेज में है उस हिसाब से इसका इलाज होता है। शुरूआती स्टेज में सिर्फ दवाओं से फायदा हो सकता है लेकिन बाद में सर्जरी की जरूरत पड़ती है। सबसे कॉमन सर्जरी हिप जॉइंट रिप्लेसमेंट होती है क्योंकि लगभग 50-60 पर्सेंट केस में एवैस्कुलर नेक्रोसिस हिप बॉल को ही इफेक्ट करती है। अब नई तकनीकों के जरिए सटीक अलायमेंट के साथ जॉइंट रिप्लेसमेंट किया जा सकता है। सर्जरी के बाद मरीज का चलना-फिरना चालू हो सकता है और उसके जीवन की गुणवत्ता में सुधार आ सकता है।