Dr Naveen Sharma

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IVF ke side effects kya hain ?

IVF के क्या क्या नुकसान होते है। आज हम IVF के कुछ नुकसान के बारे में बात करेंगे की हम IVF को एक अंतिम विकल्प के रूप के चुनते है। जब कभी बच्चा नही हो सकता तो हम दवाइयों का उपयोग करते है, IVF का उपयोग हम अंतिम विकल्प के रूप में ही क्यों चुनते है। ऐसा इसीलिए क्योंकि इसके कई प्रकार के नुकसान हो सकते है जिनके बारे में हम आज यहां विस्तार में चर्चा करेंगे। ये ब्लॉग आपको अंतिम तक जरूर पढ़ना है क्योंकि आपको जानना चाहिए की IVF के क्या क्या नुकसान होते है। इसका पहला जोखिम यह है कि समय से पहले बच्चा हो जाना यानी की सातवे या आठवें महीने में बच्चा हो जाना। मतलब यह की पूरे नौ महीने न होने से पहले ही बच्चा हो जाना। अपने बहुत आमतौर पर देखा होगा की IVF के मरीज पूर्ण आराम पर होते है और इसका महत्वपूर्ण कारण भी यही होता है की उनमें समय से पूर्व बच्चा होने की जो संभावना होती है वो थोड़ी अधिक होती है, जिस वजह से उन्हें पूर्ण आराम लेना पड़ता है। समय से पहले बच्चा होने की जो संभावना है वो प्राकृतिक गर्भावस्था के मुकाबले IVF में अधिक होती है। इसी कारण की वजह से जो बच्चे होते है उनका जो विकास होता है वो थोड़ा कम होता है। उनका वजन थोडा कम होता है अगर IVF करवाते है तो ऐसा होता है। एकाधिक गर्भावस्था : आप लोगो ने आमतौर पर देखा होगा की IVF में जुड़वा होने की संभावना बहुत अधिक होती है। जिनका IVF हुआ होता है उनके जुड़वा बच्चे होते है। ये जुड़वा बच्चे जो होने की हो संभावना जो होती है यह भी प्राकृतिक गर्भावस्था से ज्यादा IVF में होती है। जुड़वा बच्चे इसीलिए होते है क्योंकि IVF में आम तौर पर एक से ज्यादा (embriyo) उत्पन्न किया जाता है। इसी कारण से जुड़वा होने की जो संभावना अधिक होती है। क्योंकि एकाधिक गर्भावस्था होती है तो उसके कारण गर्भावस्था से संबंधित जटिलताओं जैसे गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप बढ़ना जिसे की हम PIH कहते है हमारी भाषा में और इसकी संभावना भी आम गर्भावस्था से अधिक होती है। गर्भावधि मधुमेह : इसमें गर्भावस्था के दौरान शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसकी संभावनाएं भी प्राकृतिक गर्भावस्था से अधिक होती है। सिजेरियन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा मानते है की अगर IVF हो रहा है तो सिजेरियन ही होगा। ऐसा भी देखा गया है की IVF के मामले में मिसकॉरेज होने का या अबॉर्शन होने का रिस्क थोड़ा बढ़ जाता है। इस पर अभी रिसर्च चल रही है की सच के खतरा ज्यादा होता है या फिर हम IVF उन्ही मरीजों का करते हैं जिनकी उम्र थोड़ी ज्यादा होती है। इसके कारण उम्र मिस्केरिज होने का कारण है या IVF के ऊपर शोध हो रहा है। ये ज्यादा देखा गया है की IVF के मामलो में जो मिस्केरिज होने का या अबॉर्शन होने का खतरा प्राकृतिक गर्भावस्था के मुकाबले ज्यादा पाया जाता है। डिम्बग्रंथि हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (ओएचएसएस): ओएचएसएस आईवीएफ का एक संभावित दुष्प्रभाव है जो तब हो सकता है जब अंडाशय प्रजनन दवाओं से अधिक उत्तेजित हो जाते हैं। यह पेट में दर्द, सूजन, मतली और गंभीर मामलों में पेट और छाती में द्रव संचय और यहां तक कि गुर्दे की विफलता का कारण बन सकता है। एक्टोपिक गर्भावस्था: आईवीएफ एक्टोपिक गर्भावस्था के जोखिम को थोड़ा बढ़ा देता है, जहां निषेचित भ्रूण गर्भाशय के बाहर प्रत्यारोपित होता है, आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब में। एक्टोपिक गर्भधारण जीवन के लिए खतरा हो सकता है और इसके लिए तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है। भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव: आईवीएफ के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आशा, निराशा और चिंता सहित भावनाओं का रोलरकोस्टर आईवीएफ उपचार से गुजर रहे जोड़ों के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है। जो जन्मजात विकृति है उनका खतरा थोड़ा ज्यादा होता है। इस विषय पर भी काफी अध्ययन चल रहा की क्या सच मे ये IVF के कारण होता है या ज्यादा उम्र के कारण होता है। लेकिन कुल मिलाकर थोड़ा ज्यादा जन्म जात विकृति देखने को मिलती है। लेकिन यह हो सकता है की IVF ज्यादा उम्र के लोगो मे किया जाता है इसीलिए ये होता है। Ovarion cancer के ऊपर भी थोड़ा खतरा IVF के अंदर बढ़ जाता है। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि ओवरी को स्टिमुलेट करने के लिए जो इंजेक्शंस दिए जाते है वो इस रिस्क को थोड़ा बढ़ा देते है। इसीलिए जो अंडाशय का जो कैंसर है उसकी संभावनाएं है वह IVF के मरीजों के अंदर दूसरे मरीजों की तुलना के ज्यादा देखने को मिलती है।

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