manish sangwan
Conditions and Diseases, Infectious Diseases, Health Eating, Doctor...
Senior v
Senior v - Mon 03 Apr 2023 04:19 am
Senior v - Mon 13 Mar 2023 02:38 am
Senior v - Sun 12 Mar 2023 02:17 pm
Senior v - Sun 12 Mar 2023 01:14 pm
Senior v - Sun 12 Mar 2023 03:58 am
Senior v - Sat 11 Mar 2023 09:57 am
Senior v - Sat 11 Mar 2023 04:21 am
Senior v - Fri 10 Mar 2023 01:19 pm
वज़न घटाना एक ऐसा लक्ष्य है जिसे लोग आमतौर पर हासिल करना चाहते हैं। यह संभव है, लेकिन इसके लिए सब्र, समय और दृढ़ इच्छा की आवश्यकता होती है। अपने वजन को नियंत्रित करना सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। जब आप अपने वजन को नियंत्रित करते हैं, तो आपके शरीर की ताकत, सुचारुता और ऊर्जा बढ़ती है। इस लेख में हम आपको वजन कम करने के कुछ आसान तरीके बताएंगे जो आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में आसानी से उपयोग कर सकते हैं।
वजन कम करना एक बहुत ही आम समस्या है जिससे लोग सबसे अधिक परेशान होते हैं। ज्यादातर लोग इसे बढ़ाने और कम करने के लिए आहार और व्यायाम के संयोजन का उपयोग करते हैं। यदि आप वजन घटाना चाहते हैं तो निम्नलिखित उपायों का उपयोग करके अपनी योजना तैयार कर सकते हैं:
नियमित व्यायाम करें: नियमित व्यायाम वजन कम करने में बहुत मदद कर सकता है। आप रोजाना कुछ मिनट भी निकाल सकते हैं और धीरे-धीरे व्यायाम को बढ़ाते जाएं।
आहार में सतत बदलाव करें: आपका आहार आपके वजन पर बहुत प्रभाव डालता है। आप अपने आहार में स्वस्थ भोजन शामिल कर सकते हैं और जंक फूड और तला हुआ खाना कम खाने की कोशिश कर सकते हैं।
नियमित नींद लें: नियमित नींद लेना आपके शरीर को ठीक से रिसेट करने में मदद करता है और आपको संतुलित रखता है। अपने दिन की शुरुआत और अंत नींद से अवश्य लें।
वजन बढ़ने के कारण
वजन बढ़ना आजकल बहुत समस्या बन गयी है। यह समस्या शायद ही किसी को नई हो। वजन बढ़ने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं जैसे कि खाने की आदतों में बदलाव, सेदेंट्री जीवनशैली, असंतुलित आहार और तनाव इत्यादि।
यदि आप वजन बढ़ने के कारणों को समझना चाहते हैं तो इस ब्लॉग में आपको उन सभी कारणों के बारे में जानकारी मिलेगी जो आपके वजन बढ़ने का कारण हो सकते हैं।
खाने की आदतों में बदलाव: खाने की आदतों में बदलाव वजन बढ़ाने का सबसे मुख्य कारण हो सकता है। ज्यादा स्वादिष्ट खाने का सेवन करना, खाने की समय ताला जाना और व्यायाम न करना वजन बढ़ने के कारणों में से हैं।
सेदेंट्री जीवनशैली: बैठे रहने वाले काम वजन बढ़ाने का एक और मुख्य कारण है। जो लोग नियमित रूप से बैठे रहते हैं उनके मेटाबॉलिज्म कामयाबी से काम करता है।
वजन कम करने के विभिन्न तरीके
वजन कम करना आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। लेकिन इसके लिए सही तरीके से वजन कम करना भी बहुत जरूरी होता है। यहां हम आपको वजन कम करने के कुछ उपयोगी तरीके बताएँगे:
व्यायाम: व्यायाम करना वजन कम करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। आप रोजाना अपने समय के अनुसार व्यायाम कर सकते हैं। जैसे कि जोगिंग, योगा, स्विमिंग, गोल्फ आदि।
सही खानपान: सही खानपान भी वजन कम करने के लिए बहुत जरूरी है। आप अपने आहार में सब्जियों, फलों, दलियों, अंडे, लोव फैट दूध, प्रोटीन वाले आहार शामिल कर सकते हैं।
रुचि के अनुसार व्यंजन: आप जो खाना पसंद करते हैं उसे हमेशा खा सकते हैं, लेकिन इसे सही मात्रा में लेना जरूरी होता है। आप अपनी मनपसंद चीजों को थोड़ी मात्रा में खा सकते हैं लेकिन फैट वाले और चिप्स, कोल्ड ड्रिंक्स जैसी चीजें कम से कम खा सकते हैं।
वजन बढ़ने के खतरनाक प्रभावों में सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि अधिक वजन के होने से व्यक्ति की सेहत पर कैसे असर पड़ता है। यदि व्यक्ति का वजन बढ़ता रहता है तो उसे कई तरह की सेहत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं में दिल की बीमारी, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, स्तन कैंसर, फैटी लिवर, घुटनों के दर्द और अन्य जोड़ों के रोग शामिल होते हैं।
अगर आप अपनी सेहत से जुड़ी और भी जानकारीया चाहते है तो इस पोस्ट को अपने सभी मित्रों के साथ शेयर करे और हमारी इस पोस्ट पर कमेंट करे ताकि हम इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां आपके लिए लाते रहे।
Senior v - Fri 10 Mar 2023 12:51 pm
Dr naveen sharma ka knee pain ka book online Amazon par kindle par hain
Senior v - Fri 10 Mar 2023 04:45 am
नॉर्मल ब्लड प्रेशर रेंज क्या है?
ब्लड प्रेशर शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो उच्च और निम्न होने के दो अवस्थाओं में होता है। जब हमारे हृदय धड़कने लगते हैं, तब वे रक्त को शरीर के अंदर पंप करने लगते हैं। इस पंपिंग के दौरान, रक्त की दबाव उत्पन्न होती है जो ब्लड प्रेशर के रूप में जाना जाता है। ब्लड प्रेशर को दो नंबरों में मापा जाता है: सिस्टोलिक और डायस्टोलिक। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर हमारे हृदय की धड़कन के समय का ब्लड प्रेशर होता है, जबकि डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर हमारे हृदय की धड़कन नहीं होते हुए रक्त के दबाव का माप होता है।
नॉर्मल ब्लड प्रेशर रेंज क्या है?
नॉर्मल ब्लड प्रेशर रेंज व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकता है। आमतौर पर, एक स्वस्थ व्यक्ति का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 120 से 129 और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 80 से 84 होता है। इसके अलावा, आमतौर पर ब्लड प्रेशर के रेंज में बदलाव आते रहते हैं।
ब्लड प्रेशर का प्रबंधन कैसे करें
आज के दौर में ब्लड प्रेशर एक आम समस्या हो गई है। बहुत से लोग इससे पीड़ित होते हैं और उन्हें इसे नियंत्रित करने के लिए जरूरी जानकारी नहीं होती है। लेकिन यह समस्या संभव है नियंत्रण किया जा सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि ब्लड प्रेशर का प्रबंधन कैसे करें।
सही खान-पान: खाने की चीजों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। वसा वाली खाद्य पदार्थों से बचें और आहार में फल और सब्जी शामिल करें। अपने आहार में सोडियम की मात्रा कम करें जैसे नमक और सॉडा। इसके साथ ही शराब और नशीली दवाइयों का सेवन भी न करें।
व्यायाम: रोजाना व्यायाम करना ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है। आराम से शुरू करें और धीरे-धीरे अपने शरीर को एक्सरसाइज से अधिक तनाव न दें। योग, चलने जाने में व्यायाम और स्विमिंग जैसी एक्सरसाइज कम करने के लिए उपयोगी होती हैं।
उच्च रक्तचाप के कारण :
उच्च रक्तचाप कई अलग-अलग कारणों से हो सकता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
आहार: अनुचित खान-पान, जैसे अधिक नमक और तेल का सेवन उच्च रक्तचाप के कारण हो सकता है।
वजन: वजन के बढ़ने से उच्च रक्तचाप होने की संभावना बढ़ जाती है।
नपुंसकता: नपुंसकता उच्च रक्तचाप का एक कारण हो सकती है।
स्त्रेस: जीवन में स्ट्रेस का अधिक होना भी उच्च रक्तचाप का कारण हो सकता है।
आप कमेंट सेक्शन में अपने सवाल लिख सकते हैं । मैं जवाब दे दूँगी ।
Senior v - Thu 09 Mar 2023 05:03 am
एपिलेप्सी एक जीवन बदल देने वाला रोग है, जिसमें व्यक्ति के मस्तिष्क में अनियंत्रित विद्युत् गतिविधियां होती हैं। यह गंभीर समस्या है जो किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन ज्यादातर लोग बचपन में ही इस समस्या से पीड़ित हो जाते हैं। इस लेख में हम एपिलेप्सी के बारे में बात करेंगे जैसे कि यह क्या है, इसके कारण, लक्षण और इसका इलाज।
एपिलेप्सी क्या है?
एपिलेप्सी एक न्यूरोलॉजिकल रोग है जो मस्तिष्क के विद्युत् गतिविधियों में अनियंत्रित गतिविधियों के कारण होता है। इसका मतलब है कि इस रोग में व्यक्ति के मस्तिष्क में अचानक विद्युत् की अनियंत्रित खंडन हो जाती है जो उसके शरीर के कुछ हिस्सों के नियंत्रण को खो देती है। इससे व्यक्ति असंयमित तरीके से हिलता हुआ दिखता है और अधिकतर लोग उन्हें भ्रमित हो जाते हैं।
इस लेख में हम एपिलेप्सी के कारणों के बारे में बात करेंगे
एपिलेप्सी के कारण क्या होते हैं?
एपिलेप्सी के कारण विभिन्न होते हैं, लेकिन इसमें मस्तिष्क के विद्युत् गतिविधियों में अनियंत्रित गतिविधियों के कारण होता है। इस रोग के कुछ मुख्य कारणों के बारे में निम्नलिखित हैं:
उच्च तापमान: उच्च तापमान एपिलेप्सी के लिए एक बड़ा कारक है। लंबी समय तक बारिश न होना, दुष्काल एवं गर्मी या बहुत ठंडी मौसम एपिलेप्सी के लिए जोखिम बनते हैं।
जन्मांग विकार: जन्मांग विकार भी एपिलेप्सी के लिए एक कारक हो सकते हैं। यह विकार जन्म के समय हो सकते हैं या जन्म के पहले और दूसरे तिमाही में हो सकते हैं।
एपिलेप्सी रोग आमतौर पर अचानक आने वाली जटिलताओं के कारण होता है और इससे बचाव करना बहुत मुश्किल होता है। इस लेख में, हम आपको एपिलेप्सी से बचने के कुछ उपायों के बारे में बताएंगे।
स्वस्थ खानपान: स्वस्थ खानपान रखना अत्यंत आवश्यक है। आपको हर दिन अपने आहार में पूर्ण आहार जैसे फल, सब्जियां, अनाज आदि का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा, शराब और अन्य नशीली द्रव्यों का सेवन करने से बचें।
नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करने से आप एपिलेप्सी से बच सकते हैं। योग, पैदल चलना, जोगिंग, धैर्यवानी, आदि के लिए समय निकालें।
समय पर नींद: समय पर नींद लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है। दिन में कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
स्ट्रेस से बचें: स्ट्रेस एपिलेप्सी का मुख्य कारण है। समय-समय पर अपने आप को रिलैक्स करें। आप ध्यान विश्राम, मुद्रा, योग, आदि कर सकते हैं।
घुटनों में दर्द एक आम समस्या है जो उम्रदराज लोगों में अधिक होती है। यह दर्द एक स्थायी या अस्थायी हो सकता है और उन लोगों को प्रभावित करता है जो ज्यादा समय खड़े रहते हैं या जिनके पास बैठने या ऊपर उठने के लिए एक उच्च कुर्सी नहीं है। यह दर्द बहुत से कारणों से हो सकता है जैसे घुटनों की खिसकन, अधिक वजन, अनुभव किया गया चोट या घाव, वातावरणीय विकार, या अन्य गंभीर समस्याओं से जुड़ा हो सकता है। इस समस्या को कम करने के लिए कुछ उपाय हैं जैसे अधिक आराम करना, घुटनों को स्नायु या इन्जेक्शन के माध्यम से सुधारना, योग और व्यायाम करना, अंगों को गर्म रखना, और दवाओं का सेवन करना। अगर आपको घुटनों में दर्द होता है तो सही चिकित्सा उपचार लेना अत्यंत जरूरी होता है और अपने चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए। There are several common medications used to treat knee pain, including: 1. Nonsteroidal anti-inflammatory drugs (NSAIDs): These drugs, such as ibuprofen, aspirin, and naproxen, can help to reduce inflammation and relieve pain. 2. Acetaminophen: This over-the-counter medication can help to relieve pain, but does not have anti-inflammatory effects. 3. Topical creams and ointments: These products, such as capsaicin and menthol creams, can be applied directly to the knee to help relieve pain. 4. Corticosteroids: These medications can be injected directly into the knee joint to reduce inflammation and relieve pain. 5. Hyaluronic acid injections: These injections can help to lubricate the knee joint and reduce pain. It is important to consult a healthcare professional before taking any medication, as they can recommend the most appropriate treatment based on your individual needs and medical history.
पीठ दर्द आज के समय में बहुत ही सामान्य बीमारी हो गई है जिससे बहुत से लोग पीड़ित हैं। पीठ दर्द अधिकतर लोगों को काम करते वक्त होता है। यह एक ऐसी समस्या है जो किसी भी उम्र में हो सकती है। अधिकतर मामलों में पीठ दर्द का कारण अशुद्ध जीवनशैली, खराब आदतें, बैठकर काम करना और शारीरिक अभ्यास की अभावता होती है। यदि आप अपने दिनचर्या के दौरान पीठ दर्द से पीड़ित होते हैं, तो इस लेख में हम पीठ दर्द के बारे में विस्तार से बताएंगे। इस लेख के माध्यम से आप इस समस्या से बचने के तरीकों को जान सकते हैं। पीठ दर्द के प्रकार : पीठ दर्द कई प्रकार के होते हैं जैसे कि: 1. अच्छाई से पीठ दर्द: यह दर्द अक्सर शारीर के अधिकतम भागों जैसे कि कमर, पैरों और बाजुओं में होता है। यह दर्द अक्सर लंबे समय तक बैठे रहने के कारण होता है। नई अध्ययनों से पता चला है कि वास्तव में बैक पेन की वजह क्या हो सकती है। अक्सर लोगों को लगता है कि बैक पेन सिर्फ एक जटिल समस्या से होता है लेकिन इसके पीछे कुछ और भी कारण हो सकते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम बैक पेन के मुख्य कारणों के बारे में बात करेंगे। • बैठक या उठने की गलत तरीके - लोग अक्सर गलत तरीके से बैठते हैं या उठते हैं जो उनके स्पाइन को खराब करता है। इसलिए, इस तरह की गलत तरीके से बैठक या उठने से बैक पेन हो सकता है। • उच्च टेंशन - जब आप तनाव या उच्च टेंशन में होते हैं तो आपके शरीर के मांसपेशियों में खिंचाव बना रहता है, जो आपको बैक पेन की समस्या से जूझने के लिए मजबूर करता है। • गलत शूज - लोग अक्सर गलत शूज पहनते हैं जो उनके पैरों को सही समर्थन नहीं देते हैं और इससे उनके बैक में दर्द हो सकता है। बैक पेन (Back Pain) एक बहुत ही सामान्य समस्या है जो कि आजकल बहुत से लोगों को प्रभावित कर रही है। यह समस्या आम तौर पर उम्रदराज लोगों में ज्यादा देखी जाती है, लेकिन अब यह युवाओं तक भी फैल गयी है। इस समस्या से जुड़ी कुछ खतरनाक दुष्परिणाम हैं जो कि लम्बे समय तक आपके स्वस्थ जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। यह ब्लॉग आपको बैक पेन के खतरनाक दुष्परिणामों के बारे में जानने में मदद करेगा। • कम शक्ति और तनाव: बैक पेन के साथ जीने वाले लोगों को अपने शरीर को स्थायी तनाव रखने के लिए अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है। यदि आप इस तनाव के बीच जीने की कोशिश करते हैं, तो आपका शरीर और मस्तिष्क तनाव में रहेगा। यह आपके लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है। • स्लिप डिस्क: बैक पेन के लम्बे समय तक अनदेखे रहने से स्लिप डिस्क की समस्या हो सकती है। स्लिप डिस्क के कारण, आपके बैक में दर्द हो सकता है। पीठ दर्द से बचाव के उपाय अधिकतर लोगों को जीवन के किसी न किसी समय पीठ दर्द की समस्या होती है। यह दर्द अक्सर बैठने या उठने के समय होता है। लेकिन अगर आप अपनी रज़ामंदी का ख्याल रखते हैं तो इस समस्या को दूर करना मुश्किल नहीं होगा। इसलिए यहाँ हम कुछ ऐसे उपाय बताएँगे जिन्हें अपनाकर आप पीठ दर्द से बच सकते हैं। • सही निश्चित स्थान: दिन भर बैठे रहने से पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। इसलिए, सही निश्चित स्थान बनाएं। आपका निश्चित स्थान सीधा होना चाहिए, अपने पैरों को तले रखें और अपनी वापसी को स्लाइड करें। अपनी गुदाओं को अंतर्दृष्टि में रखें। • थोड़ा समय बैठें: यदि आप दिन भर बैठे रहते हैं, तो बीच-बीच में थोड़ा समय खड़े हों और बैठने से ठीक पहले दो-तीन मिनट के लिए टहलें। पीठ दर्द क्यों होता है: कारण और उपचार आज के दौर में, पीठ दर्द एक सामान्य समस्या हो गई है। यह समस्या लोगों के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है, इसलिए इसकी वजह समझना अत्यंत आवश्यक है। इस ब्लॉग में, हम पीठ दर्द के कारणों के बारे में बात करेंगे और इसके उपचार के बारे में भी जानेंगे। क्या होते हैं पीठ दर्द के कारण? • बैठने वाली जीवनशैली - आज के दौर में, बहुत से लोग अपने काम के लिए बैठे रहते हैं। इससे पीठ में दर्द हो सकता है। लंबे समय तक बैठे रहने से पीठ के मांसपेशियों में तनाव हो सकता है, जो दर्द का कारण बन सकता है। • उच्च टेंशन और चिंता - अधिक टेंशन और चिंता से शरीर के मांसपेशियों में तनाव हो सकता है, जो पीठ दर्द का कारण बन सकता है। • गलत बैठने का तरीका - अगर आप गलत तरीके से बैठते हैं, तो इससे भी पीठ दर्द हो सकता है। पीठ दर्द एक आम समस्या है जो सभी उम्र और जीवन शैली के लोगों को प्रभावित करती है। यह खराब आसन, चोट, या अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों जैसे विभिन्न कारकों के कारण हो सकता है। पीठ दर्द हल्के से गंभीर तक हो सकता है और कारण के आधार पर अन्य लक्षणों के साथ हो सकता है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम कमर दर्द के लक्षणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे और उन्हें कैसे प्रबंधित किया जा सकता है। कमर दर्द के लक्षण: मांसपेशियों में दर्द: पीठ दर्द के सबसे आम लक्षणों में से एक मांसपेशियों में दर्द होता है. इस प्रकार का दर्द सुस्त या तेज हो सकता है और आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से या गर्दन में महसूस होता है। मांसपेशियों में खिंचाव या चोट लगने के कारण मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। शूटिंग दर्द: शूटिंग दर्द एक तेज, अचानक दर्द है जो पीठ या पैर को गोली मार सकता है। इस प्रकार का दर्द तंत्रिका संपीड़न या चोट के कारण हो सकता है। अकड़न: अकड़न पीठ दर्द का एक सामान्य लक्षण है, खासकर सुबह के समय। इससे हिलना-डुलना मुश्किल हो सकता है और इसके साथ मांसपेशियों में ऐंठन भी हो सकती है। गति की सीमित सीमा: पीठ दर्द भी गति की सीमित सीमा का कारण बन सकता है, जिससे कुछ गतिविधियों जैसे झुकना या मुड़ना मुश्किल हो जाता है। स्तब्ध हो जाना या झुनझुनी: पीठ या अंगों में सुन्नता या झुनझुनी तंत्रिका संपीड़न या चोट का संकेत हो सकता है। इस प्रकार के लक्षण को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। पीठ दर्द के लक्षणों का प्रबंधन: आराम: प्रभावित क्षेत्र को आराम देने से दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। बर्फ या गर्मी चिकित्सा: प्रभावित क्षेत्र पर बर्फ या गर्मी लगाने से दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। भौतिक चिकित्सा: भौतिक चिकित्सा गति की सीमा को बेहतर बनाने और प्रभावित क्षेत्र के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकती है। दवाएं: ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक हल्के से मध्यम दर्द को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। गंभीर मामलों में, नुस्खे वाली दवाएं आवश्यक हो सकती हैं। सर्जरी: दुर्लभ मामलों में, पीठ दर्द के कारण अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों को ठीक करने के लिए सर्जरी आवश्यक हो सकती है। निष्कर्ष: कमर दर्द एक आम समस्या है जिसके कई प्रकार के लक्षण हो सकते हैं। इन लक्षणों को समझने और उचित चिकित्सा की मांग करने से पीठ दर्द को प्रबंधित करने और जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है। यदि आप पीठ दर्द का अनुभव कर रहे हैं, तो अंतर्निहित कारण और उचित उपचार निर्धारित करने के लिए अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करना महत्वपूर्ण है। अगर आप अपनी सेहत से जुड़ी और भी जानकारीया चाहते है तो इस पोस्ट को अपने सभी मित्रों के साथ शेयर करे और हमारी इस पोस्ट पर कमेंट करे ताकि हम इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां आपके लिए लाते रहे।
क्या 1 महीने में 10 किलो वजन गिराया जा सकता है? हां! क्या करना पड़ेगा? कोई पैसे नहीं लगेंगे. अपने आप वजन कम होगा। आपको खाली कंसेप्ट समझना पड़ेगा. क्या खाना है? क्या नहीं खाना है? 1 बात याद रखिएगा। हमारा बॉडी में कैलरीज की जरूरत है. वो फूड से आता है। अगर आप बहुत लो कैलरी खाना खाएंगे। और आपका पेट भर जाए उससे तो आपको बॉडी में कैलरी की कमी पड़ जाएगी। और बॉडी क्या करेगा? अंदर से फैट को गला गला के वो कैलरी को निकाल लेगा। और फैट गलेगी तो आपका वजन घटता रहेगा। तो आपको ऐसा खाना खाना है, जो बहुत लो कैलरी हो। और आपका पेट भी भर जाए। तो वो कौन से खाने है? वो है फ्रूट्स और वेजिटेबल्स। वेजिटेबल में क्या क्या खा सकते हैं? देखिये 1 तो सब्जी बना के खाया जाता है। 1 बिना सब्जी बनाये खा सकते है। उसको सलाद बोलते हैं। जैसे खीरा है, गाजर है, टमाटर है, ब्रोकली है, या फूल गोभी है, पत्ता गोभी है. यह तो आप जी भर के खा सकते हैं। और फ्रूट्स को खूब खा सकते हैं। फ्रूट में आम, केला को छोड़ के करीब करीब सारे फ्रूट्स - पपिता, एप्पल और अनार, नासपती और अमरूद। ये जितने भी फ्रूट है – तरबूज, खरबूजा - ये जितनी मर्जी खा सकते हैं। तो अगर आप अपना पेट इन दोनों चीजों से भरने लग जाए। और इनके जूस से भरने लग जाए। फ्रूट जूस ; वेजिटेबल जूस। तो ये 4 चीज आप सारा दिन खाते रहिये. फ्रूट्स पेट भर के खाइए। और सलाद पेट भर के खाइए। सब्जी बनाइए बिना तेल के और जितना मर्जी खाइए। जो नहीं खाना है वो है रोटी। वो कोई भी तरह के अनाज की रोटी. सारे अनाज वजन बढ़ाने का काम करता है। उनको कार्ब्स बोलते है. तो कार्ब्स को कट करना है तो ये फ्रूट्स और वेजिटेबल पर जीना है। अभी हमारे 1 पेशेंट 1 महीने के लिए दिल्ली आए थे ट्रीटमेंट कराने। और 10 किलो वजन कम करके गए हैं। उनका हार्ट का बीमारी था। चल नहीं सकते थे। चलने में तो इम्प्रूवमेंट आ गया. जाते समय मुझे बोले - मैंने 10 किलो वजन कम किया. कैसे किया? उनके जवानी सुनते हैं। मुझे डॉक्टर साहब बोले - आपका वजन ज्यादा है। उसे कम करना है। तो उनके कहा अनुसार। मैं तीनों टाइम फ्रूट्स खाया। और 1 महीने के अन्दर 10 किलो अपना वजन कम कर लिया। हर्ट दिखाने के लिए आए थे। मैं अभी घूम फिर रहा हूँ। कोई प्रॉब्लम नहीं मुझे। 90 किलो वजन था। और अभी 79 किलो है. 1 महीने हम सुबह फ्रूट्स लेते थे। और उसके साथ सब्जी लेते थे। उसके बाद में दोपहर को ही सारा दिन बच जाता था। शाम को मुड़ी और थोड़ा सब्जी। और फिर रात को ही फल और सब्जी। इसी में मेरा वज़न कम हुआ और आप भी वजन कम कर सकते हैं. और ये जिंदगी भर नहीं करना है। आपका जितना टारगेट है वहां तक पहुंच जाइए। उसके बाद इसका आधा कर दीजिये। तीनों टाइम नहीं खा के 2 टाइम में फ्रूट और वेजिटेबल खाइए। फिर वजन स्टेडी रहेगा। बढ़ेगा नहीं. वाकिंग जरूर करिए.
बालों का झड़ना एक आम समस्या है जो अक्सर लोगों को परेशान करती है। इससे नहीं सिर्फ आपके बालों का मात्रा कम होती है, बल्कि इससे आपके आत्मविश्वास में भी कमी आती है। अगर आपके बाल झड़ रहे हैं तो आपको इस समस्या को सही करने के लिए कुछ उपायों का पालन करना चाहिए। इस ब्लॉग में हम बालों के झड़ने से बचने के लिए उपयोगी टिप्स देंगे। अपनी डाइट को सुधारें अगर आपकी डाइट में प्रोटीन, विटामिन, आयरन और जिंक की कमी होती है तो आपके बालों का झड़ना शुरू हो जाता है। इसलिए, आपको इन सभी पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए। आपको अधिक से अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाने चाहिए, जैसे कि अंडे, मटर, दूध, पनीर आदि। आपको अपने आहार में अधिक मात्रा में सब्जियां, फल और दाल शामिल करना चाहिए। बालों का झड़ना का मुख्य कारण अलोपेशिया (Alopecia) हो सकता है। अलोपेशिया एक रोग है जिसमें बालों के झड़ने के कुछ या सभी क्षेत्रों में बालों का उत्पादन बंद हो जाता है। यह आमतौर पर एक अंतर्निहित रोग होता है जो कि शरीर के उपयोग के दौरान संग्रहीत वायु, बादल जैसी कुछ चीजों एवं सामान्य रूप से परिवर्तित होने वाली आहार सामग्री से जुड़ा हुआ हो सकता है। अन्य कारणों में अन्य रोगों, बालों की सुरक्षा में कमी, तंत्रिका अथवा अवसाद या तनाव का असामान्य दबाव शामिल हो सकता है। बाल उगाने का साइकिल एक नियमित संचालन प्रक्रिया है जो हर व्यक्ति के शरीर में होती है। इस संचालन प्रक्रिया के माध्यम से शरीर में नए बाल उगते हैं जो कि उन बालों को बदलते रहते हैं जो नष्ट हो जाते हैं। इस संचालन प्रक्रिया में तीन अलग-अलग चरण होते हैं, जिनमें से प्रत्येक चरण के दौरान बालों में विभिन्न प्रकार के बदलाव होते हैं। • बालों के उगाने की संचालन प्रक्रिया का पहला चरण होता है एनाजेन चरण। इस चरण के दौरान बाल अपनी उगाई शुरू करते हैं। यह चरण लगभग 2 से 6 साल तक चलता है। इस दौरान बाल का आकार लगातार बढ़ता है और बाल का मूल बाल बुनियादी रूप से मजबूत होता है। इस चरण में आमतौर पर 85% बाल होते हैं। • दूसरा चरण कैटाजेन चरण होता है। इस चरण में बाल उगना बंद हो जाता है और इसकी उगाई रुक जाती है। इस चरण का अवधि लगभग 2 से 3 हफ्तों तक होता है। बालों का झड़ना एक आम समस्या है, जो आमतौर पर लोगों को तंग करती है। यह न केवल उनकी दिखावट को प्रभावित करता है, बल्कि इसका असर उनकी आत्मविश्वास पर भी पड़ता है। बालों का झड़ना कई कारणों से होता है। यहां हम इसके मुख्य कारणों के बारे में चर्चा करेंगे। • उम्र: जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे बाल भी झड़ना शुरू हो जाते हैं। इसका कारण हमारे बालों के झड़ने के प्राकृतिक कारणों में से एक है। • धूम्रपान: यह एक और मुख्य कारण है। धूम्रपान से न केवल आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इससे आपके बालों को भी नुकसान पहुंचता है। धूम्रपान के कारण आपके बाल झड़ने लगते हैं और आपके शीशे पर बालों के झड़ने के निशान दिखाई देने लगते हैं। • रोग: कुछ बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप, थायरोइड समस्या, एलोपेशिया, स्कैल्प इंफेक्शन आदि के कारण भी बालों का झड़ना होता है। बालों को झड़ने से रोकने के लिए निम्नलिखित टिप्स का पालन करें: • अपने बालों को धोने से पहले उन्हें अच्छी तरह से ब्रश करें। इससे बालों के झड़ने की समस्या कम होगी। • अपने बालों को नियमित रूप से तेल लगाएं। नारियल तेल, जैतून तेल या बादाम तेल इस्तेमाल कर सकते हैं। • अपनी डाइट में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की पूरी मात्रा लें। ये बालों के झड़ने को रोकने में मदद करते हैं। • बालों को ज्यादा गर्मी से बचाएं। इसके लिए स्ट्रेस और ज्यादा हेयर स्टाइलिंग उत्पादों से बचें। • अपने बालों को हर सप्ताह एक बार नहाने के बजाय दो बार नहाएं। इससे बालों की मृदुता बनी रहती है और झड़ने की समस्या कम होती है। • अपने बालों को ज्यादा सूखाने से बचाएं। उन्हें सूखा करने के लिए नारियल तेल इस्तेमाल कर सकते हैं। • अपने बालों को नियमित रूप से कटवाएं। इससे बालों की ग्रोथ बढ़ती है और झड़ने की समस्या कम होती है। अगर आप अपनी सेहत से जुड़ी और भी जानकारीया चाहते है तो इस पोस्ट को अपने सभी मित्रों के साथ शेयर करे और हमारी इस पोस्ट पर कमेंट करे ताकि हम इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां आपके लिए लाते रहे।
घुटने में दर्द एक आम समस्या है जो कई लोगों को प्रभावित करती है। यह समस्या बहुत से कारणों से हो सकती है जैसे कि घुटनों की समस्याएं, खेल या अवसाद से संबंधित समस्याएं। इस ब्लॉग में, हम आपको बताएंगे कि कैसे आप घुटने में दर्द से बच सकते हैं और इसे कैसे ठीक कर सकते हैं। कारण :-- • घुटने में दर्द कई तरह के कारणों से हो सकता है, जिसमें शामिल हैं: • घुटनों की चोट या अन्य घाव • घुटनों की समस्याएं, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रीव्यूमेटॉइड आर्थराइटिस, घुटनों के पैटेलर की चोट या बदलाव, या मेनिस्कस के चोट या अन्य समस्याएं • बढ़ती उम्र • बढ़ता वजन या अधिक उपयोग • शारीरिक गतिविधियाँ, जैसे खेल, ट्रेनिंग, रीक्रिएशन या असंतुलित रखरखाव :-- घुटने के दर्द को कम करने के लिए कुछ अच्छे तरीके हैं। यहाँ इनमें से कुछ बताए गए हैं। • उचित आहार: अपने आहार में समृद्ध विटामिन सी और डी, कैल्शियम, पोटेशियम, ऑमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें। ये आहार आपके घुटनों के लिए बेहद फायदेमंद होंगे। • बैठे नहीं, चलें: लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से घुटनों में दर्द होता है। इसलिए, आप नियमित रूप से चलते रहें और आराम करें। • घुटने की एक्सरसाइज: घुटने की एक्सरसाइज आपके घुटनों के लिए बेहद फायदेमंद होती है। सम्भवतः एक्सरसाइज चिकित्सक या फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा सुझाए गए होंगे। घुटनों में दर्द कई कारणों से हो सकता है। निम्नलिखित कुछ मुख्य कारण हैं: • घुटने की चोट या अपघात: घुटनों में चोट या अपघात के कारण दर्द हो सकता है। • ऑस्टियोअर्थराइटिस: यह घुटनों के जोड़ों के आसपास की हड्डियों में कमजोरी या घिसी हुई हड्डियों के कारण होता है। यह आमतौर पर बढ़ती उम्र के लोगों में देखा जाता है। • रीव ऑर टियर: यह खेलने या भारी वजन उठाने के कारण हो सकता है। • पेटेलोफेमोरल जॉइंट सिन्ड्रोम: यह दौड़ने या झुकने के दौरान दर्द और स्थायी स्टिफनेस का कारण हो सकता है। • घुटने के टेंडन की इंजरी: घुटनों के आसपास के टेंडन में इंजरी होने के कारण भी घुटनों में दर्द हो सकता है। • फीब्रोमायलजिया: यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द, स्थायी थकान और मांसपेशियों के विकार के कारण होता है। यह घुटनों में भी दर्द का कारण बन सकता है। अगर आप अपनी सेहत से जुड़ी और भी जानकारीया चाहते है तो इस पोस्ट को अपने सभी मित्रों के साथ शेयर करे और हमारी इस पोस्ट पर कमेंट करे ताकि हम इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां आपके लिए लाते रहे।
वज़न घटाना एक ऐसा लक्ष्य है जिसे लोग आमतौर पर हासिल करना चाहते हैं। यह संभव है, लेकिन इसके लिए सब्र, समय और दृढ़ इच्छा की आवश्यकता होती है। अपने वजन को नियंत्रित करना सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। जब आप अपने वजन को नियंत्रित करते हैं, तो आपके शरीर की ताकत, सुचारुता और ऊर्जा बढ़ती है। इस लेख में हम आपको वजन कम करने के कुछ आसान तरीके बताएंगे जो आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में आसानी से उपयोग कर सकते हैं।
वजन कम करना एक बहुत ही आम समस्या है जिससे लोग सबसे अधिक परेशान होते हैं। ज्यादातर लोग इसे बढ़ाने और कम करने के लिए आहार और व्यायाम के संयोजन का उपयोग करते हैं। यदि आप वजन घटाना चाहते हैं तो निम्नलिखित उपायों का उपयोग करके अपनी योजना तैयार कर सकते हैं:
नियमित व्यायाम करें: नियमित व्यायाम वजन कम करने में बहुत मदद कर सकता है। आप रोजाना कुछ मिनट भी निकाल सकते हैं और धीरे-धीरे व्यायाम को बढ़ाते जाएं।
आहार में सतत बदलाव करें: आपका आहार आपके वजन पर बहुत प्रभाव डालता है। आप अपने आहार में स्वस्थ भोजन शामिल कर सकते हैं और जंक फूड और तला हुआ खाना कम खाने की कोशिश कर सकते हैं।
नियमित नींद लें: नियमित नींद लेना आपके शरीर को ठीक से रिसेट करने में मदद करता है और आपको संतुलित रखता है। अपने दिन की शुरुआत और अंत नींद से अवश्य लें।
वजन बढ़ने के कारण
वजन बढ़ना आजकल बहुत समस्या बन गयी है। यह समस्या शायद ही किसी को नई हो। वजन बढ़ने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं जैसे कि खाने की आदतों में बदलाव, सेदेंट्री जीवनशैली, असंतुलित आहार और तनाव इत्यादि।
यदि आप वजन बढ़ने के कारणों को समझना चाहते हैं तो इस ब्लॉग में आपको उन सभी कारणों के बारे में जानकारी मिलेगी जो आपके वजन बढ़ने का कारण हो सकते हैं।
खाने की आदतों में बदलाव: खाने की आदतों में बदलाव वजन बढ़ाने का सबसे मुख्य कारण हो सकता है। ज्यादा स्वादिष्ट खाने का सेवन करना, खाने की समय ताला जाना और व्यायाम न करना वजन बढ़ने के कारणों में से हैं।
सेदेंट्री जीवनशैली: बैठे रहने वाले काम वजन बढ़ाने का एक और मुख्य कारण है। जो लोग नियमित रूप से बैठे रहते हैं उनके मेटाबॉलिज्म कामयाबी से काम करता है।
वजन कम करने के विभिन्न तरीके
वजन कम करना आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। लेकिन इसके लिए सही तरीके से वजन कम करना भी बहुत जरूरी होता है। यहां हम आपको वजन कम करने के कुछ उपयोगी तरीके बताएँगे:
व्यायाम: व्यायाम करना वजन कम करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। आप रोजाना अपने समय के अनुसार व्यायाम कर सकते हैं। जैसे कि जोगिंग, योगा, स्विमिंग, गोल्फ आदि।
सही खानपान: सही खानपान भी वजन कम करने के लिए बहुत जरूरी है। आप अपने आहार में सब्जियों, फलों, दलियों, अंडे, लोव फैट दूध, प्रोटीन वाले आहार शामिल कर सकते हैं।
रुचि के अनुसार व्यंजन: आप जो खाना पसंद करते हैं उसे हमेशा खा सकते हैं, लेकिन इसे सही मात्रा में लेना जरूरी होता है। आप अपनी मनपसंद चीजों को थोड़ी मात्रा में खा सकते हैं लेकिन फैट वाले और चिप्स, कोल्ड ड्रिंक्स जैसी चीजें कम से कम खा सकते हैं।
वजन बढ़ने के खतरनाक प्रभावों में सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि अधिक वजन के होने से व्यक्ति की सेहत पर कैसे असर पड़ता है। यदि व्यक्ति का वजन बढ़ता रहता है तो उसे कई तरह की सेहत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं में दिल की बीमारी, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, स्तन कैंसर, फैटी लिवर, घुटनों के दर्द और अन्य जोड़ों के रोग शामिल होते हैं।
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नॉर्मल ब्लड प्रेशर रेंज क्या है?
ब्लड प्रेशर शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो उच्च और निम्न होने के दो अवस्थाओं में होता है। जब हमारे हृदय धड़कने लगते हैं, तब वे रक्त को शरीर के अंदर पंप करने लगते हैं। इस पंपिंग के दौरान, रक्त की दबाव उत्पन्न होती है जो ब्लड प्रेशर के रूप में जाना जाता है। ब्लड प्रेशर को दो नंबरों में मापा जाता है: सिस्टोलिक और डायस्टोलिक। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर हमारे हृदय की धड़कन के समय का ब्लड प्रेशर होता है, जबकि डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर हमारे हृदय की धड़कन नहीं होते हुए रक्त के दबाव का माप होता है।
नॉर्मल ब्लड प्रेशर रेंज क्या है?
नॉर्मल ब्लड प्रेशर रेंज व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकता है। आमतौर पर, एक स्वस्थ व्यक्ति का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 120 से 129 और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 80 से 84 होता है। इसके अलावा, आमतौर पर ब्लड प्रेशर के रेंज में बदलाव आते रहते हैं।
ब्लड प्रेशर का प्रबंधन कैसे करें
आज के दौर में ब्लड प्रेशर एक आम समस्या हो गई है। बहुत से लोग इससे पीड़ित होते हैं और उन्हें इसे नियंत्रित करने के लिए जरूरी जानकारी नहीं होती है। लेकिन यह समस्या संभव है नियंत्रण किया जा सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि ब्लड प्रेशर का प्रबंधन कैसे करें।
सही खान-पान: खाने की चीजों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। वसा वाली खाद्य पदार्थों से बचें और आहार में फल और सब्जी शामिल करें। अपने आहार में सोडियम की मात्रा कम करें जैसे नमक और सॉडा। इसके साथ ही शराब और नशीली दवाइयों का सेवन भी न करें।
व्यायाम: रोजाना व्यायाम करना ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है। आराम से शुरू करें और धीरे-धीरे अपने शरीर को एक्सरसाइज से अधिक तनाव न दें। योग, चलने जाने में व्यायाम और स्विमिंग जैसी एक्सरसाइज कम करने के लिए उपयोगी होती हैं।
उच्च रक्तचाप के कारण :
उच्च रक्तचाप कई अलग-अलग कारणों से हो सकता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
आहार: अनुचित खान-पान, जैसे अधिक नमक और तेल का सेवन उच्च रक्तचाप के कारण हो सकता है।
वजन: वजन के बढ़ने से उच्च रक्तचाप होने की संभावना बढ़ जाती है।
नपुंसकता: नपुंसकता उच्च रक्तचाप का एक कारण हो सकती है।
स्त्रेस: जीवन में स्ट्रेस का अधिक होना भी उच्च रक्तचाप का कारण हो सकता है।
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एपिलेप्सी एक जीवन बदल देने वाला रोग है, जिसमें व्यक्ति के मस्तिष्क में अनियंत्रित विद्युत् गतिविधियां होती हैं। यह गंभीर समस्या है जो किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन ज्यादातर लोग बचपन में ही इस समस्या से पीड़ित हो जाते हैं। इस लेख में हम एपिलेप्सी के बारे में बात करेंगे जैसे कि यह क्या है, इसके कारण, लक्षण और इसका इलाज।
एपिलेप्सी क्या है?
एपिलेप्सी एक न्यूरोलॉजिकल रोग है जो मस्तिष्क के विद्युत् गतिविधियों में अनियंत्रित गतिविधियों के कारण होता है। इसका मतलब है कि इस रोग में व्यक्ति के मस्तिष्क में अचानक विद्युत् की अनियंत्रित खंडन हो जाती है जो उसके शरीर के कुछ हिस्सों के नियंत्रण को खो देती है। इससे व्यक्ति असंयमित तरीके से हिलता हुआ दिखता है और अधिकतर लोग उन्हें भ्रमित हो जाते हैं।
इस लेख में हम एपिलेप्सी के कारणों के बारे में बात करेंगे
एपिलेप्सी के कारण क्या होते हैं?
एपिलेप्सी के कारण विभिन्न होते हैं, लेकिन इसमें मस्तिष्क के विद्युत् गतिविधियों में अनियंत्रित गतिविधियों के कारण होता है। इस रोग के कुछ मुख्य कारणों के बारे में निम्नलिखित हैं:
उच्च तापमान: उच्च तापमान एपिलेप्सी के लिए एक बड़ा कारक है। लंबी समय तक बारिश न होना, दुष्काल एवं गर्मी या बहुत ठंडी मौसम एपिलेप्सी के लिए जोखिम बनते हैं।
जन्मांग विकार: जन्मांग विकार भी एपिलेप्सी के लिए एक कारक हो सकते हैं। यह विकार जन्म के समय हो सकते हैं या जन्म के पहले और दूसरे तिमाही में हो सकते हैं।
एपिलेप्सी रोग आमतौर पर अचानक आने वाली जटिलताओं के कारण होता है और इससे बचाव करना बहुत मुश्किल होता है। इस लेख में, हम आपको एपिलेप्सी से बचने के कुछ उपायों के बारे में बताएंगे।
स्वस्थ खानपान: स्वस्थ खानपान रखना अत्यंत आवश्यक है। आपको हर दिन अपने आहार में पूर्ण आहार जैसे फल, सब्जियां, अनाज आदि का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा, शराब और अन्य नशीली द्रव्यों का सेवन करने से बचें।
नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करने से आप एपिलेप्सी से बच सकते हैं। योग, पैदल चलना, जोगिंग, धैर्यवानी, आदि के लिए समय निकालें।
समय पर नींद: समय पर नींद लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है। दिन में कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
स्ट्रेस से बचें: स्ट्रेस एपिलेप्सी का मुख्य कारण है। समय-समय पर अपने आप को रिलैक्स करें। आप ध्यान विश्राम, मुद्रा, योग, आदि कर सकते हैं।